मौसम ए पतझड़ ने मुझे सुखा दिया वरना मैं भी कभी खिला करता था। मंडराती थी तितलियाँ मेरे भी चारों ओर और हर मतलबी भँवरा मुझसे मिला करता। ©V.k.Viraz #Rose indira