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नज्म कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में, तेरे नाम से

नज्म

कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
साथ में गुजारे लम्होंकी दास्तान
पढ़ना तन्हा रातों में,
हसीन यादें बरसेंगी आँखोंसे,
पर जिक्र ना करना कभी बातों में...
वैसे भी हम शायर है बदनाम से।।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
बाहों में लिपटी सिसकियाँ भी
सुनाई देंगी कुछ अल्फाजों में,
भुलें कसमों की यादें भी
मिलेंगी कुछ लब्जों में...
और मिलेंगे कुछ वादें नाकाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
खामोश पन्नो में कैद है बंंद कमरों में 
उमडे कई तुफान, 
मजबूरीयोंने उजाडा जो
वो प्यार का बागान...
और कुछ अनकहे राज भी है बदनाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
पढ़के इन नज्मों को बेशक दफना देना
लेकीन यादों को दिल मेें जिंंदा रखना,
राहेंं जुदा रहेेंगी  अपनी 
पर गुजरो जब भी गली से मेरी
मूड के एक बार जरुर देखना...
खत्म करेंगे ये प्यार का सिलसिला
एक आखरी सलाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।

लब्ज: कमलेश घुले
9 Sept 2018
4.30 am


   नज्म़
नज्म़

कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,

तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
नज्म

कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
साथ में गुजारे लम्होंकी दास्तान
पढ़ना तन्हा रातों में,
हसीन यादें बरसेंगी आँखोंसे,
पर जिक्र ना करना कभी बातों में...
वैसे भी हम शायर है बदनाम से।।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
बाहों में लिपटी सिसकियाँ भी
सुनाई देंगी कुछ अल्फाजों में,
भुलें कसमों की यादें भी
मिलेंगी कुछ लब्जों में...
और मिलेंगे कुछ वादें नाकाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
खामोश पन्नो में कैद है बंंद कमरों में 
उमडे कई तुफान, 
मजबूरीयोंने उजाडा जो
वो प्यार का बागान...
और कुछ अनकहे राज भी है बदनाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।
पढ़के इन नज्मों को बेशक दफना देना
लेकीन यादों को दिल मेें जिंंदा रखना,
राहेंं जुदा रहेेंगी  अपनी 
पर गुजरो जब भी गली से मेरी
मूड के एक बार जरुर देखना...
खत्म करेंगे ये प्यार का सिलसिला
एक आखरी सलाम से।
कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,
तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।

लब्ज: कमलेश घुले
9 Sept 2018
4.30 am


   नज्म़
नज्म़

कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में,

तेरे नाम से,
कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में
अकेले आराम से।।

नज्म़ नज्म़ कुछ नज्में लिखी है तेरी याद में, तेरे नाम से, कभी पढ़ना उन्हें फुरसत में अकेले आराम से।।