अगर परछाई बोलती जिंदगी में अंधेरा ना होता शाम ढलते ही यू उजालों के लिए तरसना ना पड़ता अगर परछाई बोलती तो साथ चलने के लिए किसी का सहारा नहीं लेना पड़ता रात को करवट बदल कर यू जागना ना होता अगर परछाई बोलती खुद की मंजिल पाने के लिए किसी को झुकाना ना पड़ता ©Jha Pallavi Jha #परछाई