समंदर की आती जाती लहरें फिर हों हो वही रेत पे बना घरौंदा फिर से तुम मेरे साथ बैठी रहो अनंत तक बिना कुछ बोले बस मुझसे नजरें मिलाये खो जाऊँ में तुम्हारी बड़ी इन आँखों में और सुरीली तान छेड़ती समंदर की लहरों में बादलों को चीरती हुई सूरज कि एक किरण पड़े तुम्हारे चेहरे पे और चमक से रोशन कर दे उसे शोर होता रहे लहरों का और चेह्चहना हो शाम को घर लौटते हुए परिंदों का और दूर बैठे हुए फेरी वाले कि आवाज़ पहुँचे हम दोनों तक तुम कुछ ना कहो तुम्हारे हृदय में झांक लूँ मैँ मैँ ना कहूँ कुछ भी तुम मेरी आँखें पढ़ लो फिर कोई लहर छू ले हम दोनों के पैर और तोड़ दे हमारा एक दूजे में खोने का एहसास फिर हम देखें एक साथ किसी उड़ते हुए बादल को लहरों पर खेलती हुई किसी कश्ती को शाम कि लालिमा में डूबते हुए सूरज को सूरज डूबते ही तुम्हारा हाथ थाम लूँ में और लगा लूँ तुम्हे गले से एक सुनहरी सुबह के इंतज़ार में और सब धुँधला पड़ जाए समंदर की आती जाती लहरें फिर हों हो वही रेत पे बना घरौंदा फिर से तुम मेरे साथ बैठी रहो अनंत तक बिना कुछ बोले बस मुझसे नजरें मिलाये खो जाऊँ में तुम्हारी बड़ी इन आँखों में और सुरीली तान छेड़ती समंदर की लहरों में बादलों को चीरती हुई सूरज कि एक किरण पड़े