था समय दोपहर का, रास्ता सुनसान था, आदमी के रूप में, बैठा वो हैवान था, भूखा था ज़ालिम भेड़िया, मौके की तलाश में, चलके कोई आएगी, बैठा था इसी आस में, उसकी नजर जाके टिकी, बच्ची थी एक साल की हाथ में खिलौना लिए, डगमगाती चाल थी, बहला फुसलाकर के बच्ची को, गोद में उसने लिया, नोच डाला पूरा बदन, काम उसने वो किया, सांसे जिस्म में बाकी बची, जिंदा उसे दफना दिया, गर झेलना बस यही सब था, ऐ खुदा क्यूँ पैदा किया| ©kumar manoj #shameonrapist #Anhoni