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अपनी हसरतों को थैले में समेट कर निकल पड़ा कुछ टू

अपनी हसरतों को थैले में 
समेट कर निकल पड़ा

कुछ टूटे फूटे अधूरे ख्वाब को 
समेट कर निकल पड़ा 
बहुत कुछ था मेरी यादों के दरिया में 
उसे भी समेटा और निकल पड़ा 

कुछ खुवाइशे और अनकही बातें लिखी थी 
 कभी किसी कागज़ पर उसे भी  
मरोड़ा और  निकल पड़ा 
एक गहरे समंदर का शोर सुना था कही 
उसी आवाज की तरफ निकल पड़ा

सब कुछ बहा दूंगा आज इस समंदर में
सुख दुःख दर्द दुआ प्यार वफ़ा दोस्ती
दुश्मनी रिश्ते नाते सपने अपने सब 

चलते हुए अपने पीछे कदमों के निशान देखा 
मैने समंदर को भी रोते हुए परेशान देखा

उसने कहा जो तेरे थैले में
उसे ही जिंदगी कहते हैं 
जीना नही चाहता कोई भी 
शख्स यहां फिर भी जी लेते हैं

©Drj's Diary
  हसरतों का थैला
redwine2238

Drj's Diary

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हसरतों का थैला #Shayari

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