हाथों में गुलदस्ता था उनके आंखों में अश्क भरे थे आशिकी का असर इस तरह था आंखों में अश्क भरे होठों पर झूठी हंसी थी बह रहा था लहू हथेली से गुलाब के कांटे कुछ उनको इस तरह चुबे थे दर्द भर के दिल में किसी और का दिल बहलाने आए थे आशिकी का असर इस तरह था देखने अपनी मोहब्बत को किसी और का होता वह शान से आए थे #आशिकी का असर इस तरह था