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White एक अनचाहा सफर एक चलता हुआ सफर, सामने कोहरे

White एक अनचाहा सफर

एक चलता हुआ सफर,
सामने कोहरे की पूरी छाया,
चलती हुई एक अनंत यात्रा,
उदय का अंत होना ही था।।

रूह में भटकती ख्वाहिशें;
अंतर्मन में भरा उबाल।
आसमां में जो चढ़ा तो,
गिरना भी जरूरी था।।

मन में अंतस की पुकार;
तमस में अमावस की बहार,
उम्मीदों की अति में,
फिसलन तो होना ही था।

ये वसंत का मौसम;
मौसम में पूरी अंगड़ाई।
समय को बदलता देख;
पतझड का आना भी स्वाभाविक था।।

उम्मीदों में अंबर से कभी,
मणियों का गिरना कहा जरूरी था ?
लक्ष्य ही हो जब एक अंतर में,
गिरने पर उसे झेलना भी जरूरी था।।

कहूं कहा ये अब ये वेदना;
खुद का संभलना जरूरी था।
ये संसार की रीत है,
भूलकर सब, अब बढ़ना भी एक मजबूरी था।।

©Saurav life #Emotional_Shayari 
#sauravlife
White एक अनचाहा सफर

एक चलता हुआ सफर,
सामने कोहरे की पूरी छाया,
चलती हुई एक अनंत यात्रा,
उदय का अंत होना ही था।।

रूह में भटकती ख्वाहिशें;
अंतर्मन में भरा उबाल।
आसमां में जो चढ़ा तो,
गिरना भी जरूरी था।।

मन में अंतस की पुकार;
तमस में अमावस की बहार,
उम्मीदों की अति में,
फिसलन तो होना ही था।

ये वसंत का मौसम;
मौसम में पूरी अंगड़ाई।
समय को बदलता देख;
पतझड का आना भी स्वाभाविक था।।

उम्मीदों में अंबर से कभी,
मणियों का गिरना कहा जरूरी था ?
लक्ष्य ही हो जब एक अंतर में,
गिरने पर उसे झेलना भी जरूरी था।।

कहूं कहा ये अब ये वेदना;
खुद का संभलना जरूरी था।
ये संसार की रीत है,
भूलकर सब, अब बढ़ना भी एक मजबूरी था।।

©Saurav life #Emotional_Shayari 
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Saurav life

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