कुछ अल्फ़ाज़:- "खामोशी बिन लिबाज़ झूमती है, आदतें बेपरवाज़ घूमती है, मेरी तलब कुछ यूँ गुमशुदा सी है, मेरी चाहत दरबादर घूमती है, मेरे जिस्म को हर घड़ी, जिस्म की खुमारी है, मेरी हवस बेहद प्यासी, मेरी धड़कनों पे मेरी साँसें भारी है," ©ALFAZ DIL SE #DrDanQuote #SearchForLove&Body