कविता शीर्षक: दर्द हम रोजमराह की जिंदगी मे जिते जिते, असली इहससो को भूल जाते है, और बहोतसी बार, हम अपने आप से भी झूट बोलने लगते है , ये कविता इसी विषय पर है