तेरी आंखो मे तब भी डुब जाया करता था, आज भी डुब जाया करता हुं। बस फर्क इतना है कि तब तेरे संग हो जाने की खुशी होती थी, और अब तेरे संग न होने का गम़ है। ©Mitesh Verma आंखो की डुबकी