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कहे दो जा कर मेरी कविताओं को फरेब कहने वालो से ,

कहे दो जा कर मेरी कविताओं को फरेब कहने वालो से  , 
अपनों से अनजान रहने वालो से, 
ये कविताएँ मेरी शब्दों में पिरोई माला है, कोई पर्वतों की माला नहीं है. 
जो ना संभाल पाए अपनों को, जा कर कहे दो उनसे,  अपने और अपनों को हमारे सिवा किसी ओर ने संभाला नहीं है. #shore जा कर कहे दो.....
कहे दो जा कर मेरी कविताओं को फरेब कहने वालो से  , 
अपनों से अनजान रहने वालो से, 
ये कविताएँ मेरी शब्दों में पिरोई माला है, कोई पर्वतों की माला नहीं है. 
जो ना संभाल पाए अपनों को, जा कर कहे दो उनसे,  अपने और अपनों को हमारे सिवा किसी ओर ने संभाला नहीं है. #shore जा कर कहे दो.....