World Poetry Day 21 March चिनगारियाँ ज्वालों में तब्दील होंगी एक दिन आहत हूँ आज मगर मकबूल होंगी एक दिन मेरा जज्बा है जरूर कबूल होगा एक दिन प्रज्जवलित दीप मैं जरूर बनूँगी एक दिन मैं एक अच्छी कविता लिखूँगी एक दिन रचना का यशगान होगा ऐसी बनूँगी एक दिन कविता हौंसला आफजाई करेंगी एक दिन मैं एक सस्मित नजीर पेश करूँगी एक दिन __.शिल्पा यादव world poetry Day