उस कुर्ते के ढीले बटन की तरह हो गयी हो तुम चलने को लम्बा चले, अलग हो जाये तो अभी हो जाये। कुछ ऐसा ही बदलाव मैं हर रोज़ तुममे देखता हूँ पर मेरी हालत उस धागे सी नही कुर्ते जैसी है। तुमसे नियंत्रित हूँ मैं भी। तुम कुर्ते से गिरी तो वही जगह पर मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा। देखो कहीं ऐसा न हो तुम्हारे अहम में तुम मुझे खो दो फिर कभी मिलो भी नही। और उसी कुर्ते पर एक नया बटन टांक दिया जाए। बहुत मजबूती से विश्वास के धागे के साथ। - नेहा शर्मा