मिलोगी न,मेरे सपनो में कभी,ख्वाब बनकर, अकेली राहों में हमराह बनकर। जब कभी चोट लगे मुझे तो, मिलोगी न,मेरे चोट की मरहम बनकर। बताओ!! तुम मिलोगे न?? जब रिमझिम सी बारिश में, तुम्हारी यादें भिंगो जाएंगी, जब मदमस्त पवन सुबह सुबह, तुम्हे छु कर गुजर जाएगी। बताओ,चलोगी न, मेरे सीने में धड़कन बनकर, मेरी सांसों में बस,जीने की वजह बनकर, बताओ!! मिलोगी न,हर लम्हे एक एहसास बनकर। तुम,तुम!!मिलोगी न?? - आर्यावर्त वेद प्रकाश Arun Raina निहारिका सिंह neha bhardwaj