रहा दूर वर्षों तक घर से, माँ की ममता, पिता के डर से, लौट रहा वापिस उस घर में, जाने को जहाँ बहुत तरसे, कल सुबह मैं घर होऊँगा, माँ के हाथ की चाय पियूँगा, हो सकता हैं डाँटे मुझको, जब बापू से जाकर मिलूँगा, हो गया है अफसर जब से, भूला है माँ-बाप को तब से, अब लड़ता भी नहीं है मुझसे, बहन के ताने भी सुनूँगा, याद करूँगा फिर वो गलियाँ यारों सँग की जहाँ मस्तियाँ नहीं मिलती सेना में जल्दी इस बार ली हैं ज्यादा छुट्टियाँ सोचता रहा मैं यही रात भर, और रैन जागते बीत गई, बैठा था जहाँ आने को मैं, गाड़ी उस स्टेशन पहुँच गई। 📖 रचना विषय :- 'रैन जागते बीत गई' 📖 06-10 पंक्तियों में अपनी उत्कृष्ट रचना करें ✍️ 📖 वर्तनी पर विशेष ध्यान दें। 📃आवश्यक नियम व शर्तें पिन पोस्ट के कैप्शन में पढ़कर ही रचना पूर्ण करें। ©Image credit - copyright free #हिन्दी_काव्य_कोश #tmkosh #yqbaba #हिन्दी_काव्य_कोश ⭐️⭐️⭐️ #YourQuoteAndMine