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Wo Shaam जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है, जहां

Wo Shaam

जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है,
जहां हल्की सी दुपहरी शाम हमें देखती थी 
तुम एक टक निहारे मुझे देखती
और मैं बादलों के धुंए में गुम हो जाता था

वो नीले रंग का चोला पहनकर,
झूमर सा लगती थी
दुल्हन सजी रात के सफर को तैयार
जिसका उबटन अभी तक उतरा ना हो

वो कपोल बन खिलता गुलाब
मैं उसके बालो में लगा देता था
हल्की हल्की ठंड में
लाल सूरज खत्म होने को होता
पर हमारी बात वक्त को निचोड़े
रात के पहर को चुनौती देती थी

©Naveen Chauhan
  Wo Shaam 
जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है,
जहां हल्की सी दुपहरी शाम हमें देखती थी 
तुम एक टक निहारे मुझे देखती
और मैं बादलों के धुंए में गुम हो जाता था

वो नीले रंग का चोला पहनकर,
झूमर सा लगती थी
chauhannaveen0753

damm

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Wo Shaam जानते हो वो दरवाज़ा अब भी खुला है, जहां हल्की सी दुपहरी शाम हमें देखती थी तुम एक टक निहारे मुझे देखती और मैं बादलों के धुंए में गुम हो जाता था वो नीले रंग का चोला पहनकर, झूमर सा लगती थी #Quotes

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