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वो रात. . . * कहानी अनुशीर्षक में * 🌹🌹🌹🌹🌹

वो रात. . .




* कहानी अनुशीर्षक में * 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

                                       वो रात. . .

बारिश का मौसम था शाम हो चुकी थी। निशि अपने ऑफिस में काम कर रही थी। उसे समय का पता ही नहीं चला, जब उसने फोन देखा तो 10 मिस काल थे जो उसकी माँ के थे। उसने बिना देर किए अपनी माँ को तुरंत फ़ोन किया और कहा की वो बस निकलने ही वाली है। उसने सारा सामान बैग में डाला और ऑफिस से निकल गई।
 
जैसे ही निकली एक ठंडी हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से पार हो गया। वो हवा वो मौसम सारी थकान दूर कर देने वाला था। वो कानों को अपने बालों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बस स्टैंड की तरफ़ चलती जा रही थी, पर हवा उसे ढकने ना देती। वह कुछ दूर चली ही थी की बारिश शुरु हो गई। कुछ 9 बजे थे ज़्यादा देर नहीं हुई थी। वह एक दुकान के छत के नीचे जा के खड़ी हो गई और बारिश के रुकने का इन्तेज़ार करने लगी।
वो रात. . .




* कहानी अनुशीर्षक में * 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

                                       वो रात. . .

बारिश का मौसम था शाम हो चुकी थी। निशि अपने ऑफिस में काम कर रही थी। उसे समय का पता ही नहीं चला, जब उसने फोन देखा तो 10 मिस काल थे जो उसकी माँ के थे। उसने बिना देर किए अपनी माँ को तुरंत फ़ोन किया और कहा की वो बस निकलने ही वाली है। उसने सारा सामान बैग में डाला और ऑफिस से निकल गई।
 
जैसे ही निकली एक ठंडी हवा का झोंका जैसे उसके शरीर से पार हो गया। वो हवा वो मौसम सारी थकान दूर कर देने वाला था। वो कानों को अपने बालों से ढकने की नाकाम कोशिश करते हुए बस स्टैंड की तरफ़ चलती जा रही थी, पर हवा उसे ढकने ना देती। वह कुछ दूर चली ही थी की बारिश शुरु हो गई। कुछ 9 बजे थे ज़्यादा देर नहीं हुई थी। वह एक दुकान के छत के नीचे जा के खड़ी हो गई और बारिश के रुकने का इन्तेज़ार करने लगी।
nishinaik1896

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