Nojoto: Largest Storytelling Platform

*किस्सा कल रात का* रविवार की रात, लगता है शनि भी म

*किस्सा कल रात का*
रविवार की रात, लगता है शनि भी मुझपे भारी था
भूखा रह गया क्यूंकि बाजार में सब मांसाहारी था

कोई गढ़ करके था वो नाम, कुछ शब्दों को और मिलाओ
रहने दो उस शहर का अब नाम भी याद मत दिलाओ

वहां हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान थे
पर वो भी तो सारे ही इंसान थे

तालों के शहर में, मेरी खुशियों की चाबी कहीं खो गयी
मैं जागा रहा सारी रात और सारी दुनिया वहीं सो गयी

कोई मिटा दे मेरे मन से हर लम्हा उस रात का
तो खत्म हो जाये *"किस्सा कल रात"* का
                             -शुभम सैनी last part of "kissa kal Rat ka" #share #commmet #like
*किस्सा कल रात का*
रविवार की रात, लगता है शनि भी मुझपे भारी था
भूखा रह गया क्यूंकि बाजार में सब मांसाहारी था

कोई गढ़ करके था वो नाम, कुछ शब्दों को और मिलाओ
रहने दो उस शहर का अब नाम भी याद मत दिलाओ

वहां हिंदुओं से ज्यादा मुसलमान थे
पर वो भी तो सारे ही इंसान थे

तालों के शहर में, मेरी खुशियों की चाबी कहीं खो गयी
मैं जागा रहा सारी रात और सारी दुनिया वहीं सो गयी

कोई मिटा दे मेरे मन से हर लम्हा उस रात का
तो खत्म हो जाये *"किस्सा कल रात"* का
                             -शुभम सैनी last part of "kissa kal Rat ka" #share #commmet #like