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ये केसा पल है पहली घर जा के भी ऐसा लग रहा है जैसे

ये केसा पल है पहली घर जा के भी ऐसा लग रहा है जैसे किसी अपने से दूर जा रहा हूं, पहली दफा है किसी के ख्याल हर पल सता रहे हैं और वो भी उसकी मुस्कान जैसे खुदा खुद मुस्करा रहा हो, मुझे तो पता नही मोहब्बत क्या होती है, पर अगर सच कहूं तो ये शायद मोहब्बत जैसा ही हैं, अब डर ये नहीं है कि मेरी मोहब्बत मुकम्मल होगी या नही डर बस ये है कि वो खुद से न हर जाए में उसे हमेशा जीतता हुआ देखना चाहता हूं, खुद से चाहे फिर वो जीत मुझे हरा के हो, कभी कहा था उसने मेरे लिए लिख पर क्या लिखू उसके लिए जब मेरा हर एक अल्फ़ाज़ बस उसी पर है, मानता हूं मेरा इश्क़ एक तरफ़ा है पर शायद वो ही मेरे लिये पूरा है, जब उसे महसूस करता हूं तो लगता है जैसे किसी शायर की वो गजल हो जिसके लिए खुदा भी तरसता हो, वो हो न हो अब उसकी तस्वीर से बातें हो जाती है, लोग कहते हैं तू खोया रहता पर में तो किसी के साथ मोहब्बत के वादे निभा रहा होता हूं, मुझे पता है उसे मेरी शक्ल पसन्द नही मुझे इसका कोई गिला नहीं बस फ़िक्र इस बात की है कि मेरे जैसों की मोहब्बत देख के उसका मोहब्बत से भरोसा न उठ जाए, सच कहूं में मोहब्बत पर हजारों अल्फ़ाज़ कह चुका था लोगो को देखकर पर खुद को हुआ तो लगा जताना कितना कठिन होता है, मुझे जताना भी नही मेरी मोहब्बत की वफ़ाएं मेरे खुदा की तरह पाक है बस मुझे फ़िक्र नहीं है अब जब जता दूंगा कि मुझे भी इकरार है तो शायद कहीं मेरी वफ़ाएँ कम न हो जाएं या कहीं उसको हरा न दे उसके मोहब्बत के ख्वाबों से जो उसने संजोये थे
मैंने हीर राँझा को तो नहीं देखा पर रब ने बना दी जोड़ी जरूर देखी है में उसके लिए मजनू नही रब ने बना दी जोड़ी का सूरी बनना चाहता हूं जो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर दे, मैं चाँद तारे तोड़कर लाने या उस के लिए जान देने का वादा नही करूँगा क्युकी मुझे उसके साथ जीना है
पता है मुझे क्या पसंद आया था उसमे उसकी मसूमियत और अपने परिवार से जुड़ाव जब उससे बात करता था ना तो लगता था कि उससे जन्मों का रिश्ता है शायद 7 जन्मों से भी ज्यादा अब  उसकी खामोशी में भी ऐसा लगता जैसे उसके ढेर सारे अल्फ़ाज़ मुझे पुकार रहे हों meri diary ke kuch panne
ये केसा पल है पहली घर जा के भी ऐसा लग रहा है जैसे किसी अपने से दूर जा रहा हूं, पहली दफा है किसी के ख्याल हर पल सता रहे हैं और वो भी उसकी मुस्कान जैसे खुदा खुद मुस्करा रहा हो, मुझे तो पता नही मोहब्बत क्या होती है, पर अगर सच कहूं तो ये शायद मोहब्बत जैसा ही हैं, अब डर ये नहीं है कि मेरी मोहब्बत मुकम्मल होगी या नही डर बस ये है कि वो खुद से न हर जाए में उसे हमेशा जीतता हुआ देखना चाहता हूं, खुद से चाहे फिर वो जीत मुझे हरा के हो, कभी कहा था उसने मेरे लिए लिख पर क्या लिखू उसके लिए जब मेरा हर एक अल्फ़ाज़ बस उसी पर है, मानता हूं मेरा इश्क़ एक तरफ़ा है पर शायद वो ही मेरे लिये पूरा है, जब उसे महसूस करता हूं तो लगता है जैसे किसी शायर की वो गजल हो जिसके लिए खुदा भी तरसता हो, वो हो न हो अब उसकी तस्वीर से बातें हो जाती है, लोग कहते हैं तू खोया रहता पर में तो किसी के साथ मोहब्बत के वादे निभा रहा होता हूं, मुझे पता है उसे मेरी शक्ल पसन्द नही मुझे इसका कोई गिला नहीं बस फ़िक्र इस बात की है कि मेरे जैसों की मोहब्बत देख के उसका मोहब्बत से भरोसा न उठ जाए, सच कहूं में मोहब्बत पर हजारों अल्फ़ाज़ कह चुका था लोगो को देखकर पर खुद को हुआ तो लगा जताना कितना कठिन होता है, मुझे जताना भी नही मेरी मोहब्बत की वफ़ाएं मेरे खुदा की तरह पाक है बस मुझे फ़िक्र नहीं है अब जब जता दूंगा कि मुझे भी इकरार है तो शायद कहीं मेरी वफ़ाएँ कम न हो जाएं या कहीं उसको हरा न दे उसके मोहब्बत के ख्वाबों से जो उसने संजोये थे
मैंने हीर राँझा को तो नहीं देखा पर रब ने बना दी जोड़ी जरूर देखी है में उसके लिए मजनू नही रब ने बना दी जोड़ी का सूरी बनना चाहता हूं जो उसकी खुशी के लिए कुछ भी कर दे, मैं चाँद तारे तोड़कर लाने या उस के लिए जान देने का वादा नही करूँगा क्युकी मुझे उसके साथ जीना है
पता है मुझे क्या पसंद आया था उसमे उसकी मसूमियत और अपने परिवार से जुड़ाव जब उससे बात करता था ना तो लगता था कि उससे जन्मों का रिश्ता है शायद 7 जन्मों से भी ज्यादा अब  उसकी खामोशी में भी ऐसा लगता जैसे उसके ढेर सारे अल्फ़ाज़ मुझे पुकार रहे हों meri diary ke kuch panne