" अभिमान " ( अनुशीर्षक में ) काहे करे अभिमान रे बंदे तेरा क्या रह जाएगा, झूठा बंधन झूठे रिश्ते किस पर सर्वस्व लुटाएगा ? करते थे जो इक दिन वादे दूर कहीं बस जाएँगे, मोह जाल में फँसे कभी तो