#OpenPoetry यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , बरसों की यादों को पलों में समेटना था, जो तोड़ना चाहा लमहों को यादों में गांठ पड़ गईं , यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , जो बीत गईं घडियां वापिस ना आएंगी, वो बर्फ की चादर थीं कब की पिघल गईं, यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , बीता वक्त तो हमारी मुट्ठी में कैद था, पर घड़ियां रेत थी पल में फिसल गईं, यादों की वादियां फिर आंसुओं से धुल गई़, रासता वही रहा बस मंजिल बदल गईं , #OpenPoetry