सुख़नवर नहीं मै कोई जो कहूंँ कुछ ऐसा कायनात में न लिखा कहा ;गया हो उस जैसा। था मुअ़य य्न तेरा मेरा रिश्ता हर जन्म में पोश़ीदा था तुझमें तु मुझमें न जाने कब से मै तुझसे तु मुझसे मेरे साथी