जिंदगी चलने का नाम... जाने किस मंजिल को जाता है ये रास्ता..। ना मुसाफिर को है खबर और न जानता है ये रास्ता..। शायद कभी न कभी तो वो मंजि़ल आएगी.. जब खत्म होगा ये सफर और ये रास्ता... ये मुसाफिर तेरा काम है चलते जाना.. थक के बैठ तू कभी हार न जाना.... मंजिल मिले न मिले शायद तूझको... मिल जायेगा इक नया रास्ता.... जाने किस मंजिल को जाता है ये रास्ता... zindagi chalne ka naam...