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माना अंजान हो तुम खुद से, अब तक बेखबर सी... (अनुश

माना अंजान हो तुम खुद से,
अब तक बेखबर सी...

(अनुशीर्षक) माना अंजान हो तुम खुद से,
अब तक बेखबर सी
जाने कहां कहां 
पगडंडियों पर विचरती सी रही हो...

आओ, एक दफ़ा 
मेरी आंखों में बनी 
पक्की सड़कों पर भी ठिठको,
माना अंजान हो तुम खुद से,
अब तक बेखबर सी...

(अनुशीर्षक) माना अंजान हो तुम खुद से,
अब तक बेखबर सी
जाने कहां कहां 
पगडंडियों पर विचरती सी रही हो...

आओ, एक दफ़ा 
मेरी आंखों में बनी 
पक्की सड़कों पर भी ठिठको,