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कुछ ज़िम्मेदारियाँ सोने नहीं देती रातों को, न ही बै

कुछ ज़िम्मेदारियाँ सोने नहीं देती रातों को,
न ही बैठने देती शान्ति से एक पल को,
हर वक़्त एक तनाव सा बन जाता है,
कई सवाल मन में हर वक़्त चलते रहते हैं,
कुछ के जबाब होते ही नहीं तो,
कुछ के भी आधे अधूरे ही होते हैं,
एक डर मन में बैठ जाता हैं,,,
ऐसा नहीं होगा तो क्या होगा...!
वैसा नहीं होगा तो क्या होगा...! 
रोज एक नया डर मन में उत्पन्न होता है,
रोज एक नए उतार चढ़ाव से गुजरना पड़ता है,
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©Alpana Sharma
  #alpanasharma

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