उत्तर प्रदेश के चुनाव समर कि अगर माता चरम पर पहुंच चुकी है पंजाब उत्तराखंड जावेद राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं इससे पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की गत दिवस पार्टी के गोटमार नेताओं को इसे लताड़ से भी समझा जा सकता है कि कांग्रेसी बार हारी तो फिर भविष्य में जीतना मुश्किल होगा मध्य प्रदेश के भाजपा कांग्रेस नेता उत्तर प्रदेश के चुनाव समर में स्वाभाविक रूप से टकट की लगाए हुए हैं दोनों राज्यों के सामाजिक ताने-बाने तत्व राजनीतिक परिस्थितियों और दोनों राष्ट्रीय दलों के सीधे मुकाबले के समीकरण में भारी अंतर है उत्तर प्रदेश में खुद प्रियंका गांधी की अति सक्रियता के बावजूद चुनाव में कांग्रेस अधिकतर सीटों पर मुख्य मुकाबले में आने के लिए संघर्ष कर रही है जबकि मध्यप्रदेश में कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला होगा वर्ष 2018 में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को छोड़कर राजनीतिक अनूप कारों को चौंका दिया और उसमें अब कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बना ली थी संगठन के महीने की हो गई सत्ता संभालने के बाद शिवराज सिंह जैसे तरह जनता के बीच जाकर संवाद कर रहे थे उसका साफ संकेत यह है कि उन्हें वर्ष 2018 के चुनाव परिणाम को एक बड़े सभा के रूप में लिया भाजपा सरकार जन जाति और अनुसूचित जातियों के लिए एक के बाद एक जिस तरह लोग प्रदेश फैसला कर रही है उसे पीछे चुनाव का सबक और अगले चुनाव की रणनीति माना जा रहा है ©Ek villain #यूपी चुनाव से सबक #Drown