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कैसे और क्या क्या बयाँ करूँ

कैसे और क्या क्या बयाँ करूँ 
                               तेरी हुस्न ए मासूमियत की,
मेरी सोच से भी लफ़्ज कम पड़ते 
                               तेरी जिक्र ए रूहानियत की। Describing the love
कैसे और क्या क्या बयाँ करूँ 
                               तेरी हुस्न ए मासूमियत की,
मेरी सोच से भी लफ़्ज कम पड़ते 
                               तेरी जिक्र ए रूहानियत की। Describing the love