Nojoto: Largest Storytelling Platform

ये मेरे लौ से अग्नि, अग्नि से ज्वाला बनने की कहानी

ये मेरे लौ से अग्नि, अग्नि से ज्वाला बनने की कहानी है,
जो मेरे मन के भीतर है, वो आज मेरी ही ज़ुबानी है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज फिर तू बहक उठ ऐ नदी,
देखू मैं भी तेरे अंदर कितना जोश है..
ये मत सोच की मेरे अंदर सब मर चुका,
या अंदर सब मेरे अब बेहोश है।
        वादा है... वादा है तेरे बहाव से उल्टा मैं बहूंगा,
        दुनिया ने जो किये है सितम, उनको न अब मैं सहूंगा।

आज फिर से गरज उठ तू ऐ बादल,
देखू मैं भी तेरे अंदर कितना आक्रोश है..
आग मेरे अंदर भी है, 
और मन की लहरो को न कोई होश है।
        कि अब.. कि अब न जाने कौनसा तूफ़ान आयेगा, कौनसी प्रलय ये लायेगा,
        शायद मन भी अब, मृत्यु-द्वार पे जाके ही सुकून पायेगा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ "The war within oneself"

I believe everyone passes by this phase atleast once in his/her lifetime. Where they push limits, fight with themselves and try to prove a point. These feelings inside oneself creates a wave.. a wave which can either make them or break them. 
So, the choice lies within you.. how you wanna hold onto these feelings, these spirits, these storms.


ये मेरे लौ से अग्नि, अग्नि से ज्वाला बनने की कहानी है,
जो मेरे मन के भीतर है, वो आज मेरी ही ज़ुबानी है।
ये मेरे लौ से अग्नि, अग्नि से ज्वाला बनने की कहानी है,
जो मेरे मन के भीतर है, वो आज मेरी ही ज़ुबानी है।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज फिर तू बहक उठ ऐ नदी,
देखू मैं भी तेरे अंदर कितना जोश है..
ये मत सोच की मेरे अंदर सब मर चुका,
या अंदर सब मेरे अब बेहोश है।
        वादा है... वादा है तेरे बहाव से उल्टा मैं बहूंगा,
        दुनिया ने जो किये है सितम, उनको न अब मैं सहूंगा।

आज फिर से गरज उठ तू ऐ बादल,
देखू मैं भी तेरे अंदर कितना आक्रोश है..
आग मेरे अंदर भी है, 
और मन की लहरो को न कोई होश है।
        कि अब.. कि अब न जाने कौनसा तूफ़ान आयेगा, कौनसी प्रलय ये लायेगा,
        शायद मन भी अब, मृत्यु-द्वार पे जाके ही सुकून पायेगा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ "The war within oneself"

I believe everyone passes by this phase atleast once in his/her lifetime. Where they push limits, fight with themselves and try to prove a point. These feelings inside oneself creates a wave.. a wave which can either make them or break them. 
So, the choice lies within you.. how you wanna hold onto these feelings, these spirits, these storms.


ये मेरे लौ से अग्नि, अग्नि से ज्वाला बनने की कहानी है,
जो मेरे मन के भीतर है, वो आज मेरी ही ज़ुबानी है।
varunkumar4444

Varun Kumar

New Creator