किस चीज़ की तलाश है,किस की नज़र में हूँ जब से सफ़र शुरू किया तब से मैं सफ़र में हूँ घूम चुके दर-ब-दर,कभी इस,कभी उस शहर में हूँ कोई मुक्मल ठिकाना नहीं मिला,मैं फिर से अपने घर में हूँ न जाने क्यूँ वो नाराज़ है,मैं बीच भंवर में हूँ कश्ती किनारे डूब गई,मैं फिर से लहर में हूँ गहरी नींद से जाग के,मैं किसके असर में हूँ आदत पुरानी छोड़ दी,मैं अब भी ज़हर में हूँ... © trehan abhishek #तलाश #ज़हर #सफ़र #manawoawaratha #yqaestheticthoughts #yqrestzone #yqdidi #कोराकाग़ज़