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पुरानी यादों को जब भी याद करते हैं सतयुग और सौम्य

पुरानी यादों को जब भी याद करते हैं 
सतयुग और सौम्य जीवन में स्वयं को पाते हैं

ईर्ष्या, घृणा और मतलबी लोगों से रहित
सुंदर और पावन धरा का स्मरण कर पाते हैं

कच्चे घरों की मिट्टी को महसूस कर पाते हैं
दादी-नानी की सुंदर कहानियों में स्वयं को पाते हैं

प्रकृति से लोगों का तालमेल देखकर आनंदित हो जाते हैं
बड़े-बूढो़ं  के संस्कारों को देख स्वयं को ठगा सा पाते हैं

खुले आकाश में सोते हुए स्वयं को चंदा मामा के साथ पाते है
समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम देखकर स्वयं को उनके जैसा बनाना चाहते हैं!
प्रियतम




 🎀 Challenge-186 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।

🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह के नियम एवं निर्देश अवश्य पढ़ लें। बाक़ी सभी ने हमारी ही नकल की है। 😊
पुरानी यादों को जब भी याद करते हैं 
सतयुग और सौम्य जीवन में स्वयं को पाते हैं

ईर्ष्या, घृणा और मतलबी लोगों से रहित
सुंदर और पावन धरा का स्मरण कर पाते हैं

कच्चे घरों की मिट्टी को महसूस कर पाते हैं
दादी-नानी की सुंदर कहानियों में स्वयं को पाते हैं

प्रकृति से लोगों का तालमेल देखकर आनंदित हो जाते हैं
बड़े-बूढो़ं  के संस्कारों को देख स्वयं को ठगा सा पाते हैं

खुले आकाश में सोते हुए स्वयं को चंदा मामा के साथ पाते है
समस्त प्राणियों के प्रति प्रेम देखकर स्वयं को उनके जैसा बनाना चाहते हैं!
प्रियतम




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🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।

🎀 कृपया कोरा काग़ज़ समूह के नियम एवं निर्देश अवश्य पढ़ लें। बाक़ी सभी ने हमारी ही नकल की है। 😊