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गोरा-बादल के अंतस्त में जगी ज्योत की रेखा, मातृभूम

गोरा-बादल के अंतस्त में जगी ज्योत की रेखा,
मातृभूमि चितोड़ दुर्ग की ओर फिर जी भरकर देखा।
कर अंतिम प्रणाम घोड़े पर चढ़े सुभड़ अभिमानी,
देश भक्ति की लिखने निकल पड़े अमर कहानी।। जय एकलिंग जी
गोरा-बादल के अंतस्त में जगी ज्योत की रेखा,
मातृभूमि चितोड़ दुर्ग की ओर फिर जी भरकर देखा।
कर अंतिम प्रणाम घोड़े पर चढ़े सुभड़ अभिमानी,
देश भक्ति की लिखने निकल पड़े अमर कहानी।। जय एकलिंग जी

जय एकलिंग जी