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ये बोझिल कदमों की आहट.. ये उखड़ी सांस

ये बोझिल कदमों की आहट..
             ये उखड़ी सांसे..ये घबराहट,
ये सूखे गले..ये उघड़े बदन..
              ये जलती धरती..ये तीखी तपन,
है सर के बोझ में पूरा घर..
              आंखें पत्थर हैं.. दिल पत्थर,
बहते आंसू.. रोती माएं..
               भूखे बच्चे.. उनकी आहें,
निर्धन होकर क्या जुल्म किया,
                हमही जाने.. जो हमने सहा,
यहां पीछे क्या-क्या छूट गया,
                 सालों का रिश्ता टूट गया,
ये गांव का रास्ता पूछ रहा,
                  क्यूं घर लौटे.. क्या सूझ रहा,
ना काम यहां.. ना पैसा है,
                   यहां जीना.. मरने जैसा है,
किसकी नाकामी.. लाचारी है,
                    हम किसकी जिम्मेदारी है..?
-------अमित प्रवासी मजदूर..
ये बोझिल कदमों की आहट..
             ये उखड़ी सांसे..ये घबराहट,
ये सूखे गले..ये उघड़े बदन..
              ये जलती धरती..ये तीखी तपन,
है सर के बोझ में पूरा घर..
              आंखें पत्थर हैं.. दिल पत्थर,
बहते आंसू.. रोती माएं..
               भूखे बच्चे.. उनकी आहें,
निर्धन होकर क्या जुल्म किया,
                हमही जाने.. जो हमने सहा,
यहां पीछे क्या-क्या छूट गया,
                 सालों का रिश्ता टूट गया,
ये गांव का रास्ता पूछ रहा,
                  क्यूं घर लौटे.. क्या सूझ रहा,
ना काम यहां.. ना पैसा है,
                   यहां जीना.. मरने जैसा है,
किसकी नाकामी.. लाचारी है,
                    हम किसकी जिम्मेदारी है..?
-------अमित प्रवासी मजदूर..
amitkumar3832

AMIT

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प्रवासी मजदूर..