फ़िर भी मैं विवेकी और सुगृहणियों से तहे दिल से यह निवेदन करना चाहती हूँ कि वे अपने विवेक से,बुद्धिमत्ता से अन्न का सदुपयोग करे, घर के सभी बड़े - छोटे सदस्यों को भी समझाए कि खाना कभी झूठा न डालें! माताओं और बहनों को भी चाहिए कि थाली और प्याली को पहली बार में ही व्यंजनों से न भर दे, जरूरत होने पर दुबारा भी लिया जा सकता है ताकि खाना झूठा न छूटे! बचा हुआ खाना, जरूरत मंद व्यक्तियों को भी खिलाया जा सकता है! .... फिर भी सर्वोत्तम तो यही होगा कि हम आवश्यकता से अधिक पकाएँ ही नहीं ताकि न खाना बर्बाद हो और न हमारा पैसा! इससे हमारी घरेलू अर्थव्यवस्था भी मजबूत बनी रहेगी और देश की अर्थव्यवस्था भी! कई महिलाएँ तो सीधे सीधे, गूंथा हुआ आटा तक फैंक देती है, बनी हुई चाय तक नाली में बहा देती है, सब्जी आदि कुछ भी! ऎसे ही हमें पानी भी बर्बाद नहीं करना चाहिए उसके लिए तो क्या अमीर और क्या गरीब, सभी तरस रहे हैं! आशा है, मेरी बात पर अवश्य ग़ौर करेंगी और देश सेवा में सहयोग प्रदान करेंगी!! जय भारत! वन्दे मातरम्!! #महिलाओं का सहयोग #27. 05.20