कार्तिकेय की जननी मैया,स्कंदमाता कहलाई । तुम ही दुर्गा तुम ही काली, तुम ही पार्वती महामाई ।। नवरात्रि की पंचम तिथि को, ढोल नगाड़े बाजे । गौर वर्ण से भूषित मैया, कमल हाथ में साजे ।। पड़ी विपत्ति जब-जब भक्तों पर, दयादृष्टि बरसाई । दुष्ट निश्चरों को मैया ने, अच्छी धूल चटाई ।। - अभिषेक अस्थाना(स्वास्तिक) माँ स्कंदमाता देवी कार्तिकेय की जननी मैया,स्कंदमाता कहलाई । तुम ही दुर्गा तुम ही काली, तुम ही पार्वती महामाई ।। नवरात्रि की पंचम तिथि को, ढोल नगाड़े बाजे । गौर वर्ण से भूषित मैया, कमल हाथ में साजे ।।