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ढूंढते - ढूंढते तुझे हम कहां थे कहां आ गए हम

ढूंढते  - ढूंढते   तुझे  हम 
कहां थे कहां आ गए हम

तूं नहीं रही तो तेरा खयाल क्यों रह गया
मुश्किल था हल तो ये सवाल क्यों रह गया

मुड़ - मुड़ के क्यों देखता हूं उन्हीं राहों को
जो तुम नहीं रही यहां तो फिर मै क्यों यहां रह गया

कल जो तुम मेरी मकां से गुजरे मै देखकर ही रह गया
जी मे आया कुछ कहे तुमसे मगर आह डर कर रह गया

इस तरह एक बार फिर मै खुदी से हार गया
देख कर चेहरे को तेरे फिर इक आह भरकर रह गया

©Sandeep Rahbraa ढूंढते  - ढूंढते   तुझे  हम 
कहां थे कहां आ गए हम

तूं नहीं रही तो तेरा खयाल क्यों रह गया
मुश्किल था हल तो ये सवाल क्यों रह गया

मुड़ - मुड़ के क्यों देखता हूं उन्हीं राहों को
जो तुम नहीं रही यहां तो फिर मै क्यों यहां रह गया
ढूंढते  - ढूंढते   तुझे  हम 
कहां थे कहां आ गए हम

तूं नहीं रही तो तेरा खयाल क्यों रह गया
मुश्किल था हल तो ये सवाल क्यों रह गया

मुड़ - मुड़ के क्यों देखता हूं उन्हीं राहों को
जो तुम नहीं रही यहां तो फिर मै क्यों यहां रह गया

कल जो तुम मेरी मकां से गुजरे मै देखकर ही रह गया
जी मे आया कुछ कहे तुमसे मगर आह डर कर रह गया

इस तरह एक बार फिर मै खुदी से हार गया
देख कर चेहरे को तेरे फिर इक आह भरकर रह गया

©Sandeep Rahbraa ढूंढते  - ढूंढते   तुझे  हम 
कहां थे कहां आ गए हम

तूं नहीं रही तो तेरा खयाल क्यों रह गया
मुश्किल था हल तो ये सवाल क्यों रह गया

मुड़ - मुड़ के क्यों देखता हूं उन्हीं राहों को
जो तुम नहीं रही यहां तो फिर मै क्यों यहां रह गया