बरसात की शाम #अनुशीर्षक में#👇👇 बात 1999 की है जब मैं एक छोटे से शहर बनारस की बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में पढ़ने के लिए प्रवेश लिया। जुलाई के महीने में मेरे एंट्रेंस एग्जाम का रिजल्ट आया था और अगस्त के पहले सप्ताह में एडमिशन ले लेना था। मैं घर से सभी डॉक्युमेंट्स को पूरा करके 31 जुलाई की सुबह 10 बजे बायोकेमिस्ट्री विभाग में पहुंँच गई। 11 बजे से इंटरव्यू, काउंसलिंग, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन शुरू हुआ तो शाम के 4 बज गए थे। आज़ भी मुझे याद है उस दिन बहुत ही तेज़ बारिश हो रही थी। लगभग सभी लोग भीग गए थे। वहांँ पर इतने ही देर में जो लोग इंटरव्यू देने आए थे उनमें से कुछ लोगों से मेरी बातचीत हुई। फिर तभी HOD का फरमान जारी हुआ जिनका आज सब कुछ फाइनल हो गया है वो सेंट्रल ऑफिस में जाकर फीस जमा कर दें और 10 अगस्त से क्लासेस शुरू हो जाएंगी। जिनका आज नहीं हो पाया है उनका कल होगा। मैं और मेरी जो अभी तुरंत दोस्त बनी थी रागनी हमने निर्णय लिया कि आज़ चल कर साथ में फीस जमा कर देते हैं। फ़िर क्या था जैसे ही हम विभाग से निकले और ही बहुत तेज़ बारिश होने लगी अब क्या करें? तभी एक रिक्शावाला प्लास्टिक लगा कर यूनिवर्सिटी के काशी विश्वनाथ मंदिर जिसको सब VT कहते हैं के जाने वाले रास्ते पर खड़ा था। हमने तुरंत उससे पूछकर बैठ गए फ़िर हम लोग जैसे तैसे सेंट्रल ऑफिस के फीस वाले काउंटर पर पहुंँच कर लाइन में लग गए। तभी एक बहुत ही स्मार्ट हैंडसम लड़का हम लोग से आकर बोला कि आप लोग बायोकेमिस्ट्री विभाग से आईं हैं हम दोनों एक साथ हांँ में सर हिलाया। उसने बोला कि भीड़ बहुत है और लाइन भी बहुत लंबी है ऐसा करिए आप लोग मुझे फीस दे दिए और साथ में अपना डिटेल बता दीजिए मैं अपने साथ जमा कर दूंँगा। हमने तुरंत मरता क्या न करता भीड़ के डर से तुरंत हमने उसको दे दिया। हमने सोचा विभाग का ही कोई होगा। वो बोला कि कल आप लोग विभाग में आकर फीस रिसिप्ट ले लीजिएगा। हम लोग साथ में वहांँ से निकल कर बारिश में भीगते हुए लंका के एक होटल में रुक गए क्योंकि हमलोग को हॉस्टल दो दिन बाद अलॉट होने वाला था। दूसरे दिन हम लोग ठीक 10 बजे विभाग पहुंँच गए। वहांँ जाने के बाद पता चला कि वो लड़का कोई और नहीं हम लोग के सीनियर हैं। हमलोग उनसे झिझकते हुए अपना रिसिप्ट मांँगा। उन्होंने हम लोग को ऑफिस में आकर फीस रिसिप्ट दे दिया क्योंकि उन लोग का क्लासेस चल रहे थे। उनको जल्दीबाज़ी में थैंक्स भी नहीं बोला। ऑफिस में ही हमने रिक्वेस्ट करके मैंने और रागनी ने साइंस फैकल्टी के गार्गी में रूम नंबर 225 साथ में अलॉट कराया। बात आई और गई, फिर हमलोग के क्लासेस 10 अगस्त से शुरू हुए तो उस दिन भी बहुत बारिश हो रही थी। क्लास में सीनियर आकार सबका परिचय लेने लगे। उनमें से वो भी थे फिर क्या जैसे ही हमारी नज़र मिली वो बोले कि आज़ आप बारिश पर कोई गाना सुनाइए। अब तो कांँटों तो खून नहीं, उस वक्त घबराहट में कोई बारिश पर गाना याद ही नहीं आ रहा था। मैंने कहा मुझे याद नहीं आ रहा है। पूरी क्लास मेरे पर हँसने लगी। उन्होंने कहा अगर गाना नहीं सुनाना है तो आज़ VT पर हम लोग को चाय पिलवाएंगी। मैंने कहा ठीक है। शाम को जैसे ही क्लास खत्म हुई हमलोग हॉस्टल भागने के चक्कर में पड़ गए। लेकिन जैसे कदम बाहर रखा वो और उनके दोस्त जैसे मेरा और मेरे दोस्त का ही इंतज़ार कर रहे थे। अब क्या, जाना ही पड़ा VT वहांँ जाकर चाय के दुकान पर जैसे ही बैठे बहुत तेज़ बारिश आ गई। शाम के 5 बज चुके थे फ़िर क्या था हमने साथ चाय पीकर हम चारों लोग मंदिर दर्शन करने चले गए कि जब तक बारिश बंद नहीं होती तब तक दर्शन ही कर लेते हैं वैसे जबसे आए हुए हैं कहीं दर्शन या घूमने के लिए नही गए थे, उस वक्त कोई ऑटो या रिक्शा बारिश की वजह से नहीं मिलने वाला था। मंदिर में दर्शन करके जैसे ही बाहर परिसर में आए बादल गरजने और बिजली भी चमकने लगी। शाम के 6 बज चुके थे। अंधेरा होने वाला था। वहीं परिसर में हम लोग रुक गए। एक तरफ़ आम का पेड़ था और दूसरी तरफ़ दीवाल। मैं बारिश में भीगने के लिए आम के पेड़ के पीछे चली गई, तुरंत मेरे सीनियर ने मेरा हाथ पकड़ लिया, मैंने कहा कि ये आप क्या कर रहे हैं, उन्होंने अपनी उंगली मेरे होठों पर रख दी, बोले कि कुछ नहीं। और अचानक इतने ज़ोर से बादल गरजा, बिजली चमकी कि डर के कारण मैं उनके सीने से जा लगी। उन्होंने से अचानक अपने होठों से मेरे होंठों को चूम लिया। और तुरंत बोले कि उस दिन फीस जमा करने का जो तुमने धन्यवाद ना कहा उसकी सजा है। मैंने कुछ नही बोला, और कहा मंदिर से पवित्र जगह कोई नहीं हो सकता आज के रहा हूंँ कि मैं तुमसे प्यार करने लगा हूंँ। उसके बाद हमने कितने शामें संग उस मंदिर में बिताया। साल भर बाद उनका पोस्टग्रेजुएशन का कोर्स पूरा होने के बाद दिल्ली सिविल के तैयारी के लिए चले गए। उसके बाद हमारी दोस्ती तो रही लेकिन प्यार अधूरा ही रहा क्योंकि हम दोनों अपने कैरियर को लेकर परेशान थे उसके मुलाकात ना हुई। उनका दो साल बाद सिविल एग्जाम 110 रैंक पा कर कर्नाटक में डीएम हो गए। आज भी हम अच्छे दोस्त हैं। आज़ भी वो बरसात की शाम मन में गुदगुदी पैदा करती है। #rztask425