आँगन में है धूप खिला, मन को हर्षित कर जाता है। थी चिड़ियों की चहचहाहट, कोयल की मधुर ध्वनि सुनी। लताएं पत्ते भी झूला झूलते, कितना मनोरम दृश्य जगा। फूलों की भौंरौ संग अठखेलियां, रंग बिरंगी तितली उड़ी। बैलों ने फिर राह है पकड़ी, हल के संग चला किसान चला। गेहूं की बालियां खनकती, पवन का कितना शोर मचा। बच्चों का रेला दौड़ लगाता, खेलकूद कर धूम मचाता। माँ के हाथों की मीठी रोटी, सुबह सुबह है भाती सबको । जीवन के कई रंगो को लेकर सुबह सुबह की बेला आती। सुबह की बेला