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जुल्फो के झरोको से देखा है किसी ने। फिर तीर निगाहो

जुल्फो के झरोको से देखा है किसी ने।
फिर तीर निगाहों से फेंका है किसी ने।।

हर जख्म सिसकता है जब याद सताती है।
सीने से मेरे दिल को खींचा है किसी ने।।

इस इश्क का दुश्मन तो मुद्‌दत से जमाना है।
अरमां का नशेमन भी फूंका है किसी ने।।

दिन रात गुजरते है यूं तेरे ख्यालो मे।
अफसाना ए हसरत भी लिखा है किसी ने।।

हम कैद कफ्स मे है सय्याद भी जालिम है।
अन्जाम मुहब्बत का सोचा है किसी ने।।

कितना भी कोई चाहे रमजानी रुक तो नहीं सकता। 
क्या जर्फ मेरा यारो देखा है किसी के।।
25/10/15

©MSA RAMZANI
  गजल
#गजल 
#गज़ल 
#ghazal 
#gazal  Tushar Yadav  Anupriya  maria chohaan  Pooja Udeshi  Madhiya Mir
जुल्फो के झरोको से देखा है किसी ने।
फिर तीर निगाहों से फेंका है किसी ने।।

हर जख्म सिसकता है जब याद सताती है।
सीने से मेरे दिल को खींचा है किसी ने।।

इस इश्क का दुश्मन तो मुद्‌दत से जमाना है।
अरमां का नशेमन भी फूंका है किसी ने।।

दिन रात गुजरते है यूं तेरे ख्यालो मे।
अफसाना ए हसरत भी लिखा है किसी ने।।

हम कैद कफ्स मे है सय्याद भी जालिम है।
अन्जाम मुहब्बत का सोचा है किसी ने।।

कितना भी कोई चाहे रमजानी रुक तो नहीं सकता। 
क्या जर्फ मेरा यारो देखा है किसी के।।
25/10/15

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  गजल
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