प्रेम अथाह है, इसका आजतक कोई पार न पाया है प्रेम की गहराई सागर से भी गहरी है, इसे आजतक कोई माप न पाया है। प्रेम में न कोई अवसर है, न हीं किसी खास दिन का इंतजार प्रेम को भाया है। प्रेम समर्पण, प्रेम पूजा, प्रेम हीं प्रियतम है एक आत्मा का दूसरे से मिल जाना प्रेम ने हीं सिखाया है। प्रेम इज्जत है, आशीर्वाद है, इसका आजतक कोई मोल न लगा पाया है प्रेम का कद ऊंचा इतना की आसमान भी इसे छू नही पाया है। प्रेम में तो धरती भी आसमां बनी है और गगन भी नीचे आया है प्रेम ने हीं राधा रानी के सामने श्री कृष्ण को नतमस्तक करवाया है। प्रेम अथाह है, इसका आजतक कोई पार न पाया है। ©Pinki Singh #loversday #लव #शायरी #valentine #Nojoto #poem