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वक्त ने मुझे इतना झुकाया है,,, अपने हाथो से अपने

वक्त ने मुझे इतना झुकाया है,,, 
अपने हाथो से अपने जख्मों को खरोंच रखीं है
तेरी मजबूरीया मेरे सपनो को नोच रखीं है,,
करु तो करु क्या? 
तू निकल न जाए वक्त के साथ 
इसी डर से घड़ी की सूइयाँ रोक रखी हैं,, 

                          /,,,,,, रवि कुमार (बिहार)  #sunrays Ravi kumar of the hand writing
वक्त ने मुझे इतना झुकाया है,,, 
अपने हाथो से अपने जख्मों को खरोंच रखीं है
तेरी मजबूरीया मेरे सपनो को नोच रखीं है,,
करु तो करु क्या? 
तू निकल न जाए वक्त के साथ 
इसी डर से घड़ी की सूइयाँ रोक रखी हैं,, 

                          /,,,,,, रवि कुमार (बिहार)  #sunrays Ravi kumar of the hand writing
ravikumar2885

Ravi Kumar

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