वक्त ने मुझे इतना झुकाया है,,, अपने हाथो से अपने जख्मों को खरोंच रखीं है तेरी मजबूरीया मेरे सपनो को नोच रखीं है,, करु तो करु क्या? तू निकल न जाए वक्त के साथ इसी डर से घड़ी की सूइयाँ रोक रखी हैं,, /,,,,,, रवि कुमार (बिहार) #sunrays Ravi kumar of the hand writing