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मकड़ जाल जीवन सखे, कितने इसमें जाल। फँस-फँस इसमें

मकड़ जाल जीवन सखे, कितने इसमें जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।।
मनुज यहाँ बदहाल,ढूँढ रहा यहाँ रस्ता।
 मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।।
शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल।
निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।।

©Bharat Bhushan pathak  poetry lovers poetry in hindi hindi poetry on life hindi poetry poetry
मकड़ जाल जीवन सखे,इसमें कितने जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।।
मनुज यहाँ बदहाल,ढूँढ रहा यहाँ रस्ता।
 मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।।
शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल।
निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।।
मकड़ जाल जीवन सखे, कितने इसमें जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।।
मनुज यहाँ बदहाल,ढूँढ रहा यहाँ रस्ता।
 मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।।
शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल।
निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।।

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मकड़ जाल जीवन सखे,इसमें कितने जाल।
फँस-फँस इसमें हो रहा,मनुज यहाँ बदहाल।।
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 मुश्किल ढोना हुआ,संघर्षी अभी बस्ता।।
शिक्षक जीवन वही,सब हल करता सवाल।
निकलें हम खुद यहाँ,गहरा भले मकड़ जाल।।