पथरीले रास्ते पर पथरीली राहों पर ये तुम्हारे नाज़ुक कोमल पैर। तुम्हारे लिए ओ प्रिये बनी नहीं है ऐसी सैर।। फूलों वाली राहों से क्या हुआ है कोई बैर? जो रखे पथरीली धरा पे नाज़ुक कोमल पैर? ✍️अवधेश कनौजिया© पथरीली राहों पर ये तुम्हारे नाज़ुक कोमल पैर। तुम्हारे लिए ओ प्रिये बनी नहीं है ऐसी सैर।। फूलों वाली राहों से क्या हुआ है कोई बैर? जो रखे पथरीली धरा पे नाज़ुक कोमल पैर?