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बुढ़ापे में तू अकेला बैठा है पेड़ की छाव में !

बुढ़ापे में तू अकेला बैठा है पेड़ की छाव में !                     क्या काटा चुभ गया तेरे किसी पाँव में !!                            उदास होने से कोई काम नही चल पाएगा !                                तू जाते जाते हम सबको रुलाएगा !!                                        बस्ता भी तेरे उठने का इन्तजार कर रहा है !                                ना जाने तू कौनसी मुसीबत से डर रहा है !!                             तेरे पास घास की पत्तिया भी मुरझाई है !                            जल्दी उठ अब शाम होने को आई है !!                                 इस दुनिया से तू हारता हुआ दिखाई दे रहा है !                         इस घड़ी में तुझको कोई उठने की नहीं कह रहा है !!                  थोड़ा तुम अपने दिमाग को मजबूत बनाओ!                 अपना मार्ग ढूंढ के वापस घर की ओर जाओ !! #alone
बुढ़ापे में तू अकेला बैठा है पेड़ की छाव में !                     क्या काटा चुभ गया तेरे किसी पाँव में !!                            उदास होने से कोई काम नही चल पाएगा !                                तू जाते जाते हम सबको रुलाएगा !!                                        बस्ता भी तेरे उठने का इन्तजार कर रहा है !                                ना जाने तू कौनसी मुसीबत से डर रहा है !!                             तेरे पास घास की पत्तिया भी मुरझाई है !                            जल्दी उठ अब शाम होने को आई है !!                                 इस दुनिया से तू हारता हुआ दिखाई दे रहा है !                         इस घड़ी में तुझको कोई उठने की नहीं कह रहा है !!                  थोड़ा तुम अपने दिमाग को मजबूत बनाओ!                 अपना मार्ग ढूंढ के वापस घर की ओर जाओ !! #alone