बुढ़ापे में तू अकेला बैठा है पेड़ की छाव में ! क्या काटा चुभ गया तेरे किसी पाँव में !! उदास होने से कोई काम नही चल पाएगा ! तू जाते जाते हम सबको रुलाएगा !! बस्ता भी तेरे उठने का इन्तजार कर रहा है ! ना जाने तू कौनसी मुसीबत से डर रहा है !! तेरे पास घास की पत्तिया भी मुरझाई है ! जल्दी उठ अब शाम होने को आई है !! इस दुनिया से तू हारता हुआ दिखाई दे रहा है ! इस घड़ी में तुझको कोई उठने की नहीं कह रहा है !! थोड़ा तुम अपने दिमाग को मजबूत बनाओ! अपना मार्ग ढूंढ के वापस घर की ओर जाओ !! #alone