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जीते जी ज़ख्म तूने बहुत से दिये अश्क अब यूं बहाने

जीते जी ज़ख्म तूने बहुत से दिये
अश्क अब यूं बहाने से क्या फायदा
मैं तड़पता रहा तुम मुस्कुराते रहे
आज मरहम लगाने से क्या फायदा
लौट जाओ मुझे छोड़ दो यूं अकेला
राग भैरवी सुनाने से क्या फायदा 
बीते पल याद करके घुटन हो रहा
सो रहा हूं जगाने से क्या फायदा
झूमकर अपने धुन में मचलते रहो 
यूं कसम झूठी खाने से क्या फायदा
जैसे मैं जल रहा तुम भी जलते रहो
बेवजह दिल लगाने से क्या फायदा
सामने से करो वार दिल खोलकर
छुपकर खंजर चलाने से क्या फायदा
"सूर्य" ढलना व उगना अटल सत्य है
जीत कर हार जाने से क्या फायदा

©R K Mishra " सूर्य "
  #जीते जी  Chetna Dubey Rama Goswami Suresh Gulia Sethi Ji Ashutosh Mishra

#जीते जी Chetna Dubey Rama Goswami Suresh Gulia @Sethi Ji @Ashutosh Mishra #कविता

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