किस बात की अकड़ है ढल रहे हो हर दिन आज जवान हो कल बुड्ढे हो रहे हो जिस हुस्न, शरीर पे नाज़ है वो तो गल रहा है बेकार क्यों जल जल कर अपना खून जला रहे हो रस्सी जल गई बल नहीं गया फिर क्यों बेकार अपनी ताकत आजमा रहे हो खत्म होते rशरीर पर यू नाज़ कर रहे हो जो मर कर मिट्टी मे मिल जाऐगा फिर किस बात की चिन्ता कर रहे हो, दो दिन की है ज़िन्दगी ख़ुशी से बिता दो, कल तुम्हे याद कर सब मुस्कुराए ना कि मू बनाये ऐसा बनो अकड़ तो शरीर जाता है मरने के बात अभी तो मत घमंड करो,,जी लो ढंग से ना ज्यादा किसी को दुख दो ना किसी का रोब सहो, मेरी बाते अपने दिमाग मे रखो जय माता की 🙏 ©POOJA UDESHI #AKAD😘🙏 अकड़ ना करो, शांत रहो #eveningtea