पता है हम फक्कड़ अपनौ को तनिक ना हैं भाते, फिर भी ना जाने क्यों हम दुर अपनौ से हैं रह पाते। अपने अपनो से ही तो हैं जलता, हम फकीरों की मौजूदगी उन्हें हैं खलता। फक्कड़ता से तन्हाईंयो में जो ढुंड़ खुशिंया लेता, गर ये जाहील दिल अपनो की बेरुखी सह ना जाता। #अपनो की दुरी सह नहीं पाते