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बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर

बताह भीड़ 
न शिर न पैर
हवा में !
हताश नर मुंड 
शोर मचाती माँगो का 
अपने मूल अधिकार के बल पर 
कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में 
आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती 
केवल कान खोलने को कहती 
तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती 
उचित समय पर क्रम दुहराती 
सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर 
प्रसार का विस्फोट करती 
हवा में!
छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा
व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई 
नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव 
राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य 
संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया 
अस्तित्व में !
शीघ्र पतन हो भी तो कैसे 
बताह भीड़ 
अव्यवस्था का रूपक 
न देह न देहि ,अकेला 
हवा में !

(कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन!


बताह भीड़ 
न शिर न पैर
हवा में !
हताश नर मुंड 
शोर मचाती माँगो का
बताह भीड़ 
न शिर न पैर
हवा में !
हताश नर मुंड 
शोर मचाती माँगो का 
अपने मूल अधिकार के बल पर 
कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में 
आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती 
केवल कान खोलने को कहती 
तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती 
उचित समय पर क्रम दुहराती 
सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर 
प्रसार का विस्फोट करती 
हवा में!
छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा
व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई 
नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव 
राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य 
संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया 
अस्तित्व में !
शीघ्र पतन हो भी तो कैसे 
बताह भीड़ 
अव्यवस्था का रूपक 
न देह न देहि ,अकेला 
हवा में !

(कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन!


बताह भीड़ 
न शिर न पैर
हवा में !
हताश नर मुंड 
शोर मचाती माँगो का