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छा गया यादों पर यूँ घना कुहरा,, ओस की बूंदों का आँ

छा गया यादों पर यूँ घना कुहरा,,
ओस की बूंदों का आँखों में है पहरा ।
लरजते हैं लब्ज अब इस सर्द में,,
बन्द पलकों में दिखे बस तेरा चेहरा ।।
सिमट गया हो हृदय जैसे इस दर्द से ,,
धड़कनों पर है तेरे स्नेह का पहरा ।
बिन दिखे कर दे उजाला बन प्रभाकर,,
बांधता है हर तरफ खुशियों का सेहरा ।।
इन्तजार भी जम गया है बर्फ में,,
ठंड सा बढ़ स्नेह हो रहा और गहरा । 
बिन पुकारे यूं ही आना ....
धड़कनों की साज सुनकर ।।
सूर्य की रोशन प्रभा से ,,
खुद हटेगा सारा कुहरा ।।

🌺🍁💖🍁🌺

©SEEMA SINGH Kuhasa
छा गया यादों पर यूँ घना कुहरा,,
ओस की बूंदों का आँखों में है पहरा ।
लरजते हैं लब्ज अब इस सर्द में,,
बन्द पलकों में दिखे बस तेरा चेहरा ।।
सिमट गया हो हृदय जैसे इस दर्द से ,,
धड़कनों पर है तेरे स्नेह का पहरा ।
बिन दिखे कर दे उजाला बन प्रभाकर,,
बांधता है हर तरफ खुशियों का सेहरा ।।
इन्तजार भी जम गया है बर्फ में,,
ठंड सा बढ़ स्नेह हो रहा और गहरा । 
बिन पुकारे यूं ही आना ....
धड़कनों की साज सुनकर ।।
सूर्य की रोशन प्रभा से ,,
खुद हटेगा सारा कुहरा ।।

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©SEEMA SINGH Kuhasa
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SEEMA SINGH

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