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अच्छाई का दीया बुझा, बुराई की लालटेन जलाना..! नि

 अच्छाई का दीया बुझा,
बुराई की लालटेन जलाना..!

निक्कमों से भरा है,
ये जालिम ज़माना..!

लूट मार धोखेबाज़ी से फँसा,
चाहते हैं सभी को चूना लगाना..!

मुखौटों में छुपे रहते हैं,
रखते नया ठौर ठिकाना..!

छल को अख़्तियार कर ,
बेईमानी से धन कमाना..!

©SHIVA KANT
  #Achhayi